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इंडिगो के एकाधिकार पर सरकार का वार! तीन नई एयरलाइंस को हरी झंडी, हवाई बाजार में बड़ा उलटफेर तय

 नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो (IndiGo) के लंबे समय से चले आ रहे कथित एकाधिकार को चुनौती देने के लिए अब केंद्र सरकार हरकत में आती दिखाई दे रही है। वर्षों तक स्थिति पर मौन रहने के बाद सरकार ने भारतीय विमानन बाजार में तीन नई एयरलाइनों को प्रवेश देने का फैसला किया है। इसके तहत शंख एयर, अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस जल्द ही देश में अपनी उड़ान सेवाएं शुरू करने की तैयारी में हैं।



इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू नानक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से साझा की।

मंत्री का बयान: नई एयरलाइनों से मिली सकारात्मक ऊर्जा

नागरिक उड्डयन मंत्री ने अपने बयान में कहा कि बीते एक सप्ताह के दौरान उन्होंने उन एयरलाइनों की टीमों से मुलाकात की, जो भारतीय आकाश में उड़ान भरने की आकांक्षा रखती हैं।

उन्होंने बताया कि शंख एयर को पहले ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) मिल चुका है, जबकि अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को इसी सप्ताह एनओसी प्रदान की गई है।

सरकार का दावा है कि उसकी नीतियों के कारण आज भारतीय विमानन क्षेत्र दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में शामिल है और मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है कि देश में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाए।

UDAN योजना और क्षेत्रीय एयरलाइनों की भूमिका

सरकार की उड़ान (UDAN) योजना के माध्यम से पहले ही स्टार एयर, इंडिया वन एयर और फ्लाई 91 जैसी छोटी एयरलाइनों को क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने का अवसर मिला है। सरकार का मानना है कि आने वाले समय में इस सेक्टर में और भी बड़ा विस्तार देखने को मिलेगा।

लेकिन संकट की यादें अभी ताज़ा हैं

हालांकि, यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश हाल ही में एक अभूतपूर्व विमानन संकट से गुजर चुका है। पहली बार ऐसा हुआ जब देश की हवाई सेवाएं लगभग पूरी तरह ठप हो गईं।

हजारों उड़ानें रद्द हुईं, यात्री हवाई अड्डों पर घंटों फंसे रहे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की विमानन व्यवस्था की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा।

इस संकट की सबसे बड़ी वजह के रूप में इंडिगो की लगभग 70 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी को माना गया। आरोप लगे कि कंपनी समय रहते सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर पाई, जिसका खामियाजा पूरे सिस्टम को भुगतना पड़ा।

सरकार क्यों झुकी?

स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सरकार को अपने ही बनाए गए सुरक्षा मानकों में अस्थायी ढील देनी पड़ी, ताकि हवाई सेवाएं पूरी तरह ठप न हो जाएं।

इस दौरान यह आरोप भी सामने आए कि इंडिगो की बाजार में पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी थी कि सरकार पर कॉर्पोरेट दबाव बना और अंततः सरकार को झुकना पड़ा।

सड़क से संसद तक गूंजा मामला

यह मुद्दा केवल मीडिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सड़क से लेकर संसद तक गूंजा।

विपक्षी दलों ने सरकार पर कॉर्पोरेट हितों के आगे झुकने, यात्रियों की सुरक्षा से समझौता करने और नियामक विफलता जैसे गंभीर आरोप लगाए।

देर से ही सही, अब सरकार एक्शन में

लगातार दबाव और आलोचना के बाद सरकार ने आखिरकार सख्त रुख अपनाया।

इंडिगो की 10 प्रतिशत उड़ानों में कटौती का आदेश दिया गया और अब नई एयरलाइनों को मैदान में उतारकर प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की रणनीति पर काम शुरू किया गया है।

आगे क्या?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि

क्या शंख एयर, अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस की एंट्री वास्तव में इंडिगो के एकाधिकार को तोड़ पाएगी?

क्या इससे यात्रियों को बेहतर सेवा, अधिक विकल्प और सस्ते किराए मिलेंगे?

और क्या सरकार भविष्य में किसी एक कंपनी को इतना प्रभावशाली होने से रोकने के लिए मजबूत नियामक ढांचा खड़ा कर पाएगी?

देश की नजर अब सरकार के अगले कदमों और भारतीय विमानन क्षेत्र में होने वाले बड़े बदलावों पर टिकी हुई है।

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