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नवविवाह के बाद आस्था की राह: डॉ. मोहन यादव के सुपुत्र डॉ. अभिमन्यु यादव एवं डॉ. इशिता यादव ने मां नर्मदा परिक्रमा का लिया संकल्प, युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत

MP-डेस्क। आधुनिक जीवन की व्यस्तताओं के बीच जब युवा पीढ़ी परंपराओं से दूर होती दिखाई देती है, ऐसे समय में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सुपुत्र डॉ. अभिमन्यु यादव एवं उनकी धर्मपत्नी डॉ. इशिता यादव ने नवविवाह के उपलक्ष्य में मां नर्मदा की पावन परिक्रमा का संकल्प लेकर समाज, विशेषकर युवाओं के सामने एक प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत किया है।

 

तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर के ब्रह्मपुरी घाट पर संत विवेक गुरुजी से आशीर्वाद प्राप्त कर, नवविवाहित जोड़े ने पारिवारिक शुभचिंतकों के साथ विधिवत पूजा-अर्चना कर मां नर्मदा की परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ किया। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन के नए अध्याय की शुरुआत को संस्कार और साधना से जोड़ने का संदेश भी देती है।


विवाह के बाद लिया आध्यात्मिक संकल्प

उल्लेखनीय है कि हाल ही में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में डॉ. अभिमन्यु यादव का विवाह संपन्न हुआ था। विवाह उपरांत परंपराओं के निर्वहन और आध्यात्मिक मूल्यों को आत्मसात करने के उद्देश्य से नवदंपति ने मां नर्मदा की परिक्रमा का संकल्प लिया, जिसे पूर्ण करने के लिए वे श्रद्धा और विश्वास के साथ यात्रा पर निकल पड़े हैं।

 “नर्मदा को समझने और स्वयं को जानने की यात्रा

 इस अवसर पर अभिमन्यु यादव एवं डॉ. इशिता यादव ने कहा कि > “धर्म और आस्था हमारे जीवन की मजबूत नींव हैं। मां नर्मदा के आशीर्वाद से इस यात्रा को प्रारंभ किया है। यह केवल परिक्रमा नहीं, बल्कि नर्मदा जी को समझने, प्रकृति से जुड़ने और स्वयं को भीतर से जानने का अवसर है। 

युवाओं के लिए सशक्त संदेश यह यात्रा आज के युवाओं को यह संदेश देती है कि आधुनिक शिक्षा और वैज्ञानिक सोच के साथ आध्यात्मिक चेतना का समन्वय ही संतुलित और सशक्त जीवन की दिशा है। नर्मदा परिक्रमा जैसी यात्राएं न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती हैं, बल्कि संयम, अनुशासन, प्रकृति संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत के प्रति जिम्मेदारी का भाव भी जागृत करती हैं।

 


परंपरा से प्रगति तक का मार्ग

डॉ. अभिमन्यु यादव एवं डॉ. इशिता यादव की यह पहल दर्शाती है कि विवाह जैसे जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव को संस्कार, साधना और समाज के प्रति सकारात्मक संदेश के साथ जोड़ा जा सकता है। यह परिक्रमा यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए आगे बढ़ें।

मां नर्मदा की यह पावन यात्रा आस्था, संस्कृति और युवा चेतना के संगम का जीवंत उदाहरण है।

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